इस लेख में हम आपको प्रत्येक ग्रह की मूलत्रिकोण राशियों के बारे में बतायेंगे।
मूलत्रिकोण राशि में स्थित ग्रह बली तो होता है परन्तु उतना नहीं जितना कि ग्रह अपनी उच्च राशि में होता है। अतः अधिक फलदायी ग्रह सर्वप्रथम उच्च राशिगत एवं उसके पश्चात मूलत्रिकोण होता है।
आप ग्रहों की उच्च राशियों के बारे में जानने के लिये हमारा पिछला लेख देख सकते हैं।
आप ग्रहों की उच्च राशियों के बारे में जानने के लिये हमारा पिछला लेख देख सकते हैं।
आइए जानते हैं मूलत्रिकोण राशियों के बारे में -
1. सूर्य सिंह राशि में 1अंश से 20 अंश तक मूलत्रिकोण स्थिति माना जाता है।
2. चंद्र वृषभ राशि में 4 अंश से 30 अंश तक मूलत्रिकोणस्थ होता है।
3. मंगल मेष राशि में 15 अंश तक, बुध कन्या राशि में
16 से 30 अंश तक, बृहस्पति धनु राशि में 13 अंश तक, शुक्र तुला राशि में 10 अंश और शनि कुम्भ राशि में 20 अंश तक मूलत्रिकोणस्थ माना जाता है।
16 से 30 अंश तक, बृहस्पति धनु राशि में 13 अंश तक, शुक्र तुला राशि में 10 अंश और शनि कुम्भ राशि में 20 अंश तक मूलत्रिकोणस्थ माना जाता है।
4. राहु और केतु क्रमशः कर्क तथा मकर राशि में मूलत्रिकोणस्थ माने गए हैं।
इस प्रकार ये मूलत्रिकोणस्थ ग्रह प्रभाव दर्शाते तो हैं लेकिन उच्च के ग्रह से कम।
इस प्रकार हमने नवग्रहों की मूलत्रिकोण राशियों की चर्चा की।
आशा है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा।
धन्यवाद।
No comments:
Post a Comment