आज हम आपको बताते हैं कि आपकी कुंडली में सर्वाधिक बली ग्रह कौन-सा है जो आप पर सर्वाधिक प्रभावी है।
इसे जानने का एक अत्यंत ही सरल नियम है। इस नियम में आपकी कुंडली के ग्रहों के अंश देखे जाते हैं और इस आधार पर ही ग्रहों की शक्ति बताई जाती है। आइए जानते हैं इस बारे में -
जैसा कि हम अपने राशि वाले लेख में बता चुके हैं कि एक राशि 30 अंश की होती है ( अधिक जानने के लिए देखें - राशि और उनके स्वभाव)।
ग्रह आपके जन्म समय में एक राशि में निश्चित अंश पर होता है। इस अंश द्वारा ही उस ग्रह की शक्ति बतायी जाती है।
ग्रह की पांच अवस्थाएं मानी जाती है। ये निम्न प्रकार है -
1. बाल अवस्था
2. किशोर अवस्था
3. युवा अवस्था
4. वृद्ध अवस्था
5. मृत अवस्था
ग्रह युवा अवस्था में पूर्णतः प्रभावी होता है और मृत अवस्था में पूर्णतः अप्रभावी होता है। यह किशोरावस्था में 50% तथा बाल तथा वृद्ध अवस्था में 25% प्रभाव दर्शाता है।
यदि ग्रह विषम राशियों (1,3,5,7,9,11) में हो तो वह 0 से 6 अंश तक बाल अवस्था, 7 से 12 अंश तक किशोरावस्था, 13 से 18 अंश तक युवावस्था, 19 से 24 अंश तक वृद्धावस्था, 25 से 30 अंश तक मृत अवस्था मानी जाती है।
सम राशि(2,4,6,8,10,12) में यदि ग्रह हो तो इसका विपरीत होता है जैसे - 0 से 6 अंश तक मृत अवस्था, 7 से 12 अंश तक वृद्धावस्था, 13 से 18 अंश तक युवावस्था इति।
अब इसे मैं एक उदाहरण से समझाने की कोशिश करता हूँ।
जैसे यदि आपकी कुंडली में शनि विषम राशि में 19 अंश में हो तो वह वृद्धावस्था में कहा जायेगा और यदि सम राशि में हो तो किशोरावस्था में कहा जाता है।
यह एक आधुनिक परिपाटी है। अब हम प्राचीन परिपाटी की चर्चा करते हैं -
भृगु संहिता के अनुसार यदि ग्रह 3 से 9 अंश तक हो तो ग्रह बाल अवस्था, 10 से 22 अंश तक युवावस्था, 23 से 28 अंश तक वृद्धावस्था, 29 से 2 अंश तक मृत अवस्था माना जाता है।
अब आप अपनी कुंडली में सर्वाधिक बली ग्रह के बारे में पता लगा सकते हैं।
धन्यवाद।
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