जैसा कि हमने पिछले लेख में बताया कि कारक ग्रहों की सहायता से हम अपनी जिंदगी को सुखद बना सकते हैं। परंतु कई बार कुंडली में वे कारक ग्रह बली नहीं होते जिससे की जातक को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। अतः हम अपने कारक ग्रहों को शक्ति प्रदान करके अपनी कुछ कठिनाईयों को दूर कर सकते हैं।
कारक ग्रहों को बली करने के लिए उन ग्रहों के रत्न धारण किए जाते हैं और उन ग्रहों की या ग्रहों के अधिपति देवताओं की पूजा करने से भी कारक ग्रहों को बली बना सकते हैं।
आइए बात करते हैं ग्रहों के रत्नों की -
1.माणिक्य-
यह सूर्य का रत्न है। सूर्य को बली बनाने के लिये इसे धारण किया जाता है। इसे अनामिका अंगुली में सोने अथवा तांबे की अंगूठी में धारण किया जाता है। इसके उपरत्न को लाल गार्नेट के नाम से जाना जाता है। इसे शुक्लपक्ष के रविवार को सूर्य के होरा में धारण किया जाता है।
2. मोती -
यह चंद्र का रत्न है। चंद्रमा को बली बनाने के लिए इसे धारण किया जाता है। मानसिक शांति के लिए भी इसे धारण कर सकते हैं परंतु कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अनुकूल होनी चाहिए। इसे कनिष्ठा अंगुली में चांदी की अंगूठी में धारण किया जाता है। इसका उपरत्न मूनस्टोन के नाम से जाना जाता है। इसे शुक्लपक्ष में सोमवार को चंद्रमा के होरा में धारण किया जाता है।
3. मूंगा -
यह मंगल का रत्न है। मंगल को बली बनाने के लिए मूंगा धारण किया जाता है। इसे अनामिका अंगुली में सोने तथा तांबे की अंगूठी में धारण किया जा सकता है। इसका उपरत्न सममूंगी के नाम से प्रसिद्ध है। इसे शुक्लपक्ष में मंगलवार को मंगल के होरा में धारण किया जाता है।
4. पन्ना -
यह बुध का रत्न है। बुध को बली बनाने के लिए इसे धारण किया जाता है। इसे व्यापार के लिए भी धारण किया जा सकता है यदि कुंडली में बुध की स्थिति अच्छी है। हरा गोमेद इसका उपरत्न है। इसे स्वर्ण में कनिष्ठा अंगुली में धारण किया जाता है।
5. पुखराज -
यह बृहस्पति देव का रत्न है। बृहस्पति को बली बनाने के लिए इसे तर्जनी अंगुली केवल और केवल स्वर्ण में धारण किया जाता है। टोपाज इसका उपरत्न है।
6. हीरा -
यह शुक्र का रत्न है। शुक्र को बली बनाने के लिए इसे धारण किया जाता है। इसे धारण करने के अनेक मत है। यदि इसे पारिवारिक जीवन के लिए धारण किया जाये तो अनामिका एवं यदि कारकत्व के लिए धारण किया जाये तो तर्जनी में धारण किया जाता है। इसका एक प्रसिद्ध उपरत्न ओपल के नाम से जाना जाता है।
7. नीलम -
यह शनिदेव का रत्न है। इसे सदैव ही अच्छे ज्योतिषी की सलाह पर ही पहनना चाहिए अन्यथा इसके अनेक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसे चांदी अथवा सोने में शनिवार को मध्यमा अंगुली में धारण किया जाना चाहिए। नीली, कटेला इसका उपरत्न है।
8. गोमेद -
यह राहू का रत्न है। इसे भी किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह पर ही पहनना चाहिए। इसे सोने-चाँदी अथवा अष्टधातु की अंगुठी में मध्यमा अंगुली में पहना जाता है।
9. लहसुनिया-
यह केतु का रत्न है। इसे सोने, चांदी अथवा अष्टधातु की अंगुठी में मध्यमा में शनिवार के दिन धारण किया जाता है।
अगले लेख में हम आपके अकारक ( मारक) ग्रह की शांति के बारे में बताएंगे।
आशा है कि आपको यह लेख पसंद पाया होगा।
धन्यवाद।
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