हम अपने पिछले लेख में कारक ग्रहों को बली बनाकर उनका शुभ फल लेने के बारे में बताया। विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला लेख देखें।
आइए जानते हैं प्रत्येक लग्न के लिए मारक ग्रहों के बारे में -
1. मेष -
शनि तथा बुध इस लग्न के लिए सबसे अधिक नुकसानदेह हो सकते हैं क्योंकि वे अशुभ स्थानों के अधिपति है ।शुक्र इस लग्न के लिए अल्प मारक है।
2. वृषभ -
बृहस्पति तथा चंद्र इसके लिए मारक है तथा मंगल भी अशुभ होने के कारण मारक सिद्ध हो सकता है।
3. मिथुन -
मंगल तथा सूर्य अशुभ स्थानों के अधिपति है अतः अशुभ फलदायी है। गुरु दो केंद्रों के अधिपति है अतः अशुभ फलदायी हो सकते हैं।
4. कर्क -
शनि सर्वाधिक अशुभकारी है क्योंकि दोनों मारक भाव का स्वामी है और शुक्र तथा बुध भी अशुभकारी सिद्ध हो सकते हैं।
5. सिंह -
शनि तथा शुक्र इस लग्न के लिए मारक सिद्ध हो सकते हैं। बुध इस लग्न के लिए सम है।
6. कन्या -
मंगल तथा चंद्र कन्या लग्न के लिए सबसे अधिक नुकसानदेह हो सकते हैं, तथा गुरु भी दो केन्द्रों के अधिपति है अतः अशुभ फलदायी हो सकते हैं।
7. तुला -
गुरु तथा सूर्य दो अशुभ स्थानों के अधिपति होने के कारण यह इस लग्न के लिए मारक है और मंगल कम अशुभकारी है।
8. वृश्चिक -
शनि तथा बुध इस लग्न के लिए मारक है तथा शुक्र (नैसर्गिक शुभ ग्रह) भी केंद्र का अधिपति है अतः अशुभकारी ही है।
9. धनु -
शनि तथा शुक्र मारक है तथा बुध भी अशुभकारी हो सकता है और यदि उसका संबंध सूर्य से हो जाये तो वह राजयोगकारी भी हो सकता है।
10. मकर -
मंगल तथा गुरु अशुभकारी है क्योंकि वे अशुभ स्थानों के अधिपति हैं। सूर्य सम है।
11. कुम्भ -
गुरु, चंद्र और मंगल अशुभकारी है। सूर्य भी इस लग्न के लिए मारक हो सकता है।
12. मीन -
शनि तथा बुध इस लग्न के लिए मारक सिद्ध हो सकते हैं। सूर्य भी अशुभ स्थानों का स्वामित्व रखता है अतः यह भी अशुभ फलदायी हो सकता है।
आशा है कि आपको अपने अशुभ फलदायी ग्रह के बारे में जानकारी हो चुकी होगी।
आगे हम आपको इन मारक ग्रहों के अशुभ फल से बचने के उपाय बताएंगे।
धन्यवाद।
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